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Apari Krishna Rao spends his pension to decorum bad condition of parks

अगर आज का विचार करके देखा जाये तो, बहुत कम व्यक्ति मिलते हैं जो दूसरों की सहायता के लिए आगे आते हैं या फिर कोई सामाजिक विकास कार्य के लिए जैसे-  Parks की सफाई आदि, और कुछ चाहते हैं कि सारी जिम्मेदारी सरकार और सरकारी कर्मचारी की ही है पर…… ये व्यक्ति अनमोल हैं|

एपारी कृष्ण राव- Parks Single Parent

नाम- एपारी कृष्ण राव 

आयु – 75 वर्ष 

व्यवसाय-  रिटा. इलेक्ट्रिकल इंजिनियर 

निवासी- बरहमपुर, ओड़िशा 

पेंशन के रुपयों से पार्क सजाना- 

जी हाँ, एपारी कृष्ण राव जी पिछले 8 सालों से यह कार्य कर रहे हैं, उन्हें पेड़-पौधे लगाना बहुत ही प्रिय है,

because- क्यों कि अबतक वो बहुत से पेड़-पौधे लगा चुके हैं बिना किसी लाभ के और जब कुछ लगाए हुए केले के पेड़ जब फल देते हैं तो वह उन केलों को एक रसोयिए को दे देते हैं चिप्स बनाने के लिए लिए जिसे वह सुबह टहलने वाले व्यक्तियों में बाँट देते हैं|

उन्होंने शहर के कई Parks को हरा-भरा रखने और शहर की कई बेकार दिखने वाली ज़मीन को भी खूबसूरत शक्ल में सजाया है, अभी वो अपनी पेंशन का लगभग 10000 rs Parks को सजाने में खर्च करते हैं और ये तो आपको पता ही है की वह यह काम पिछले 8 सालों से कर रहे हैं| उन्होंने बताया …

कि जब उन्होंने शहर के खल्लीकोट कॉलेज स्टेडियम की आंतरिक रिंग रोड को बनवाया था तब वह देखते थे की किस तरह स्टेडियम में सुबह-शाम walk करने वालों के लिए वहां न तो कोई ट्रैक है और ना ही कोई अन्य सुविधा|

 

यह देख उन्होंने न सिर्फ बाउंड्री बल्कि walk करने वालों के लिए walking lane, cooling shed भी बनवाए, जिससे हजारों लोग प्रतिदिन उस स्टेडियम से लाभान्बित होने लगे, इसके बाद तो उनका इस दिशा में काम करने का सिलसिला ही चल पड़ा|

Besides that,

उन्होंने बताया की दो साल पहले शहर के काम्पल्ली स्क्वायर को विकसित और चौड़ा करने के इरादे से बरहामपुर विकास प्राधिकरण (BDA) द्वारा राज्य के विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता वृन्दावन नायक की प्रतिमा चौराहे से हटाकर एक कोने में स्थापित कर दी गयी और जहां प्रतिमा लगायी गयी थी वहां उसे लोहे के पाइप  से घेरा  गया था|

But- लेकिन उन्हें ये मूर्ति स्थल का नया स्वरुप पसंद नहीं आया तो उन्होंने उस ज़मीन के टुकड़े को mini park के रूप में विकसित करने का फैसला किया, इस कार्य को करने के लिए उन्होंने BDA की अनुमति भी ली| उस park को तैयार करने के लिए उन्होंने बंगलुरु से मखमली घास और सजावटी पौधे मँगवाए|

Park के अन्दर एक तोप के साथ-साथ एक सैनिक की मूर्ति और सैनिक के बूट की प्रतिमा भी स्थापित करवायी और सजावटी lights के साथ-साथ park में सौर उर्जा से चलने वाले पानी के छोटे फब्बारे भी लगवाए|

लेकिन फब्बारे के लिए पानी नहीं था क्यों कि उस इलाके में पानी की कमी एक बड़ी समस्या थी, इसके लिए उन्हें हर दिन पानी खरीदना पड़ता है|

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इसके लिए वो चाहते हैं कि नगर निकाय और BDA अपनी जिम्मेदारी समझें और उनके द्वारा विकसित किये गए Parks की देखरेख की जिम्मेदारी उठाएं और शहर को साफ़ रखने के लिए म्युनिसिपल ही नहीं बल्कि सभी नागरिक की जिम्मेदारी है वो इसके प्रति जागरूक हों और अपना योगदान दें|

इस महान कार्य करने के लिए उनहोंने और उनके दो दोस्त (बालकृष्ण और शिवलिंगम) शहर को साफ़-सुथरा रखने का प्रयास कर रहे हैं|

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