Virendra Jamshedpur, Jharkhand, India (जमशेदपुर , झारखण्ड, भारत) के रहने वाले हैं|
Virendra kumar शुरू से ही कुछ अलग करना चाहते थे परन्तु अपने शर्मीले और झिजकीले स्वभाव की वजह से वो लोगों का सामना नहीं कर पाते थे|
उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (NIT), कुरुक्षेत्र से की है|
इंजीनियरिंग करने के दौरान एक आर्ट ओफ लिविंग (art of living) नाम की संस्था से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि
ध्यान और कुछ अलग अभ्यास की मदद से संकोच दूर किया जा सकता है, तभी वो इस संस्था से जुड़ तुरंत जुड़ गये|
Virendra Kumar एक माध्यम वर्ग परिवार से थे पर पढाई में होशियार थे,
इसी कारण उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग एजुकेशन लोन (education loan) लेकर की और इसके साथ- साथ कॉलेज में इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट सेल (Entrepreneurship Development) से भी जुड़े रहे|
Art of living ने उन्हें समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया और Entrepreneurship Development Classes ने उन्हें कुछ करने का हौसला दिया|
अपनी इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद नॉएडा की एक कम्पनी (MNC Company, Noida) में नौकरी शुरू कर दी| पर 2-3 महीने बाद ही उनका मन नौकरी से हट गया और वापस घर आ गये|
उनके घर वाले उनके इस फैसले के खिलाफ थे क्यों कि उनपर पढाई का कर्जा भी था और उसे चुकाने के लिए Virendra Kumar का नौकरी करना बहुत ही आवश्यक था|
पर उनके लिए नौकरी कर पाना असंभव सा हो गया था|
नौकरी छोड़ने के बाद Virendra Kumar ने माटी का घर नाम की संस्था कैसे शुरू की –
Virendra और उनके एक दोस्त (जमशेदपुर में अपने पिता का स्कूल संभालता है) ने काफी पहले तय किया था कि पढाई पूरी करने के बाद वे गरीब बच्चों के लिए वो Hobby Classes चलाएंगे|
और बापस लौटकर उन्होंने बच्चों को पढ़ना शुरू कर दिया|
ऐसे ही एक दिन वो शहर के बाहरी इलाके में घूम रहे थे तभी उनकी नज़र एक आदिवासियों की बस्ती पर पड़ी|
वहाँ पर उन्होंने मिटटी के कच्चे घरों पर विशेष चित्रकारी देखी|
तभी सोचा कि सामाजिक उद्धमशीलता के लिए इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है|
क्यों कि, आजकल मिटटी के कच्चे घरों के साथ- साथ लोक-कलाओं का भी चलन गायब होता जा रहा है| इस अनमोल विरासत को बचाने और लोक कलाकारों को आर्थिक रूप से शसक्त बनाने के लिए उन्होंने माटी का घर नाम कि एक संस्था शुरू की|
Website- MAATIGHAR.ORG
Facebook Page- https://www.facebook.com/maatikaghar
जब Virendra Kumar- Vijay जी से मिले –
ये बात २ साल पहले की है जब “माटी घर” आया ही था तब वीरेन्द्र की मुलाक़ात विजय जी से हुई उनके गाँव अमादुबी में, इस गाँव में ज्यादा तर लोग चित्रकार हैं तो इस गाँव को लोग चित्रकार के गाँव के नाम से भी जानते हैं|
उस समय बात करते हुए उनसे पुछा तो वहां से सारे लोग इधर- उधर काम करके या फिर कभी अपनी बनाई हुई चित्र को बेच कर आपना गुज़ारा करते थे |
यह देख वीरेन्द्र ने राज्यभर में अलग अलग कला रूपों में अभ्यास करने वाले अन्य “कारीगरों की स्थिति पता करने का फैसला किया”
उन्होंने 6 महीने तक एक छोटी सी टीम के साथ हज़ारीबाघ और दुमका के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा किया, उस कोर्स के दौरान उनकी मुलाक़ात संदीप से हुई|
Sandeep Kumar- Virendra Kumar-
संदीप कुमार इस काम में वीरेन्द्र जी की मदद करते हैं, संदीप कुमार ने अपना ग्रेजुएशन फाइन आर्ट्स में किया है| कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, पटना से|
इसका प्रमाण उनके द्वारा जीते गए अवार्ड्स देते हैं| इस संस्था में संदीप अभी सेक्रेटरी पद पर नियुक्त हैं|
चित्रकारी के विषय में ज्यादा जानकारी के लिए website पर विजिट करें: http://www.maatighar.org
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