जानें भारतीय वायु सेना को क्यों पढ़ी राफेल विमान की जरुरत?
Rafale News India में सबसे पहले यहाँ हम बात करेंगे कि भारत की वायु सेना को राफेल विमान (Dassault Rafale) की जरुरत क्यों पढ़ रही है|
भारतीय वायु सेना के पास इस समय लड़ाकू विमानों की बहुत कमी है| भारत के पास ज्यादातर मिग 21 विमान हैं,
जो की 40 वर्ष से भी पुराने हैं| जिनमे से एक है जगुआर विमान, जो की 1970 के आखिर में खरीदे गए थे|
इस समय भारतीय सेना के पास सबसे नया लड़ाकू विमान सुखोई है| ये विमान 1966 में खरीदा गया था|
लेकिन सुखोई भी आज के दौर में पीछे छूट चूका है|
ताक़त की कमजोरी का कब एहसास हुआ?
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना को यह एहसास हुआ कि दुश्मनों से लड़ने के लिए ऊँचाई वाले इलाकों में
दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने मे वह असफल रहते हैं|
इसके बाद जून 2001 में तत्कालीन एनडीए (NDA) सरकार ने 126 लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी दी|
लेकिन इन विमानों की खरीद को DAC (Defense Acquisition Council) की मंजूरी जून, 2007 में जाकर मिली
और तब देश में यूपीए(UPA) की सरकार आ चुकी थी| इसके बाद यूपीए(UPA)सरकार ने अगस्त, 2007 में,
126 फाइटर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए बिड्स निकली|
कंपनियों द्वारा आये प्रस्ताव: Rafale News India
इसके बाद अप्रैल, 2008 में, 6 कंपनियों ने इसकी खरीद के लिए अपने प्रस्ताव दिए, जिनमे से 2 कंपनियों
को शार्टलिस्ट किया गया| उसके बाद ये प्रक्रिया अप्रैल 2011 में खत्म हुई| जिन 2 कंपनियों को सलेक्ट किया
गया था इनके नाम हैं-
Dassault Aviation और EADS| जनवरी 2012 में सबसे कम बोली लगाकर Dassault Aviation की जीत हुई|
फ्रांस की सरकार से हुई डील:
अप्रैल 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस दौरे पर गए| उस दौरे के बाद फ्रांस और भारत के बीच राफेल का जिक्र किया गया|
10 अप्रैल 2015 को भारत ने फ्रांस की सरकार से 36 राफेल विमान खरीदना चाहता है| और यह डील UPA की शर्तों से बेहतर होगी|
मई 2015 में 36 राफेल विमान की खरीद को DAC ने सहमति दे दी| उसके बाद करीब 14 महीनों तक फ्रांस की सरकार से
नेगोशिएसंस हुई, जिससे की भारत को अच्छे दाम और समय से बेहतर डिलीवरी मिल पाए|
अगस्त 2016 में CCS ने इस खरीद को मंजूरी दी|
इसके बाद यह तय हुआ कि सितम्बर, 2019 से अप्रैल, 2022 के बीच इन विमानों की डिलीवरी पूरी हो जाएगी|
2001 में डील हुई थी और अब 2019 चल रहा है, 18 साल हो चुके हैं|
और अभी तक एक भी विमान डिलीवर नहीं हुआ है और विवाद पहले ही हो गया|
कांग्रेस द्वारा लगाये गए आरोप:
- कांग्रेस का कहना है कि इन विमानों की खरीद पर निश्चित की गयी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है|
सबसे बड़ा विवाद राफेल विमान की कीमत को लेकर हुआ है| कांग्रेस सरकार का कहना है की UPA के वक़्त
एक विमान की कीमत 525 करोड़ रुपये तय की गयी थी| लेकिन जब मोदी की सरकार (NDA) ने सौदा किया
तो एक राफेल विमान 1680 करोड़ रूपये की कीमत में तय किया गया| कांग्रेस चाहती है कि इस सौदे की पूरी
जानकारी संसद में और पूरे देश में बताई जाये|
- दूसरा आरोप यह लगाया गया है की इस सौदे की वजह से रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को 30 हज़ार करोड़ रूपये का
फायदा दिया गया है|
कांग्रेस द्वारा लगाये गए आरोप गलत हैं| क्योंकि अगस्त 2007 में UPA ने इसकी कीमत 538 करोड़ रूपए
की बेसिक कीमत के साथ डील की थी| पर राहुल ने इसका ज़िक्र एक बार भी नहीं किया है|
इन सभी विवादों के चलते सरकार ने तय किया है की विमान की कीमत अब गोपनीय राखी जाएगी क्योंकि ये देश की सुरक्षा का मुद्दा है|
Rafale News India- राफेल हमारे देश की सेना की ताक़त बढाने में सक्षम साबित होगा, और हमारे भारत देश के दुश्मनों
को मात देने में भी सफलता हासिल करेगा!