Bhan Singh Jassi , वह नाम है जिसने अपने बल पर 1000 ऐसे बच्चों की पढाई का जिम्मा उठाया हैं, जो कि झुग्गी – झोंपड़ी में रहकर अपना गुज़ारा करते हैं और एक वक्त के खाने के लिए कचरा उठाते हैं जो कि कभी सोच भी नहीं सकते थे की उन्हें भी कभी ज्ञानमिल सकता है|
Bhan Singh Jassi (भान सिंह जस्सी) जी के बारे में सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा
कि भारत जैसे देश में लुटेरे भी बहुत हैं और लुटाने वाले भी बहुत हैं,
पर आजतक मैंने जो भी देखा है वो यह है कि जो लुटाने वाले होते हैं
उनके पास दिल बहुत बड़ा होता है और जो लूटने वाले होते हैं उनके पास पैसा बहुत होता है|
अब आगे जानते हैं भान सिंह जी के बारे में –
Bhan Singh Jassi संगरूर, पंजाब के रहने वाले हैं और ये विधुत विभाग में काम करते थे| आज इन्हें 15 साल हो गये हैं इस नेक काम को शुरू किये हुए|
एक दिन अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते समय इनका ध्यान पास वाली बस्ती पर हमेशा रहता था|
उस बस्ती में ऐसे लोग रहते थे जिनके पास न तो पर्याप्त कपडे थे पहनने को और न ही पाँव में पहनने को
और उन्हीं में से कुछ कचरा बीनते नज़र आते|
ये सारी चीज़ें उनके दिमाग में अनेक विचार लाती, वह सोचते थे कि काश इन बच्चों का भविष्य भी उनके बच्चों जैसा हो जाये बजाय कचरा बीनने के,
इसे देख उनसे रहा नहीं जाता था और इसी के चलते एक दिन वो उनकी बस्ती में जा पहुंचे|
पहुँचने के बाद उन्होंने वहाँ रह रहे लोगों से पुछा कि आप लोग अपने बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजते- तभी उनसे जबाव आया जो कि शयद जस्सी जी पहले से ही समझते थे,
उन लोगों ने बताया कि उनके पास इतना पर्याप्त पैसा नहीं है जिससे वे अपने बच्चों को स्कूल भेज के शिक्षा दिला सकें| इस वाक्य के बाद उनके मन को दुःख हुआ और उन बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे|
यहाँ से हुई असल शुरुआत-
कुछ समय बाद ही वो उन बच्चों कि बस्ती में गये और उनसे घुलने – मिलने के लिए उनके लिए चॉकलेट्स ले जाने लगे, इससे वे उन बच्चों को पढाई के लिए मनाना चाहते थे कि कैसे भी ये बच्चे पढाई की ओर आकर्षित हों, और वो इस काम में सफल रहे|
कुछ दिन बाद ही उन्होंने उन बच्चों को मनाने के बाद शाम को एक जगह पढाई के लिए बुलाया और उन्हें पढ़ना शुरू कर दिया|
स्कूल में दाखिला इसलिए नहीं कराया क्यों कि वो जानते थे कि कि एकदम से न तो इनका मन लगेगा पढने में और ना ही वे प्रेरित होंगे पढने के लिए|
जब भान सिंह जस्सी जी को उन बच्चों के अन्दर पढने के प्रति रूचि दिखी तब उन्होंने पास के सरकारी स्कूल में उनका दाखिला करा दिया और पढाई का पूरा खर्चा भी उठाया|
Bhan Singh Jassi के द्वारा 6 शिक्षा केंद्र की स्थापना
इस तरह उन्होंने खुद पढ़ाकर अपने पहले शिक्षा केंद्र की शुरुआत की जिसमें अभी 125 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, और अब ऐसे ही शिक्षा की पहल करते हुए उन्होंने 6 अलग-अलग जगहों पर अपने केन्द्रों की शुरुआत की जो कि 4 जिलों में अलग-अलग जगहों पर हैं|
20 अध्यापकों कि मदद से आज करीब 1000 बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया जा रहा है और इनकी आगे की पढाई की व्यवस्था भी यही करते हैं, इन्ही जैसे कुछ लोग हैं जिनकी मदद से इन बच्चों के लिए पढाई का सामान, कपडे, जूते आदि कि व्यवस्था की जाती है|
किये का फल
वो कहते हैं ना- जैसे कर्म करते हैं वैसा फल मिलता है, उसी प्रकार आज जो भान सिंह जस्सी जी ने किया
उन्हें इसी बात की ख़ुशी है कि जो बच्चे कभी पढ़ने से वंचित थे आज वे पढ़ लिख कर डिग्री भी हासिल कर रहे हैं|
अभी तक 5 बच्चों ने बारहवीं पास में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पास की है, उनमें से एक राहुल नाम का बालक जिसे 88 % अंक मिले हैं, यह एक दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर का बेटा है|
दूसरा 18 साल का बालक है कार्तिक नाम का जिसने अभी BCA कि पढाई करके आगे मास्टर्स में दाखिला लिए है| ये बच्चे तफजलपुरा, पटियाला के हैं|
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